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लेखनी प्रतियोगिता -25-Dec-2023 'सैन्टा क्लोस'

              \'सैन्टा क्लोस\'

मां कल क्रिसमस है सैन्टा क्लोस क्या देगा, मोनू ने मेरा हाथ खींचते हुए पूछा।मोनु मेरा बेटा जो 8 साल का है जब से उसको पता चला है क्रिसमस पर सन्टा कुछ ना कुछ कुछ जरूर देता है तब से उसको हमेशा दिसंबर का इंतजार रहता है कब 25 दिसंबर आएगी और उसको उपहार स्वरूप कुछ ना कुछ गिफ्ट मिलेगा। 
हम लोगों ने जब से उसने होश संभाला है कुछ ना कुछ गिफ्ट लाकर बाहर बालकनी में एक दुपट्टे से बांधकर रख देते हैं और जब वह सुबह को उठना है तब जगह-जगह ढूंढता हुआ वह बालकनी में पहुंचता है और गिफ्ट को टंगा हुआ देखाता है उस वक़्त उसके चेहरे की मुस्कान देखने लायक होती है। आज भी वह वही सवाल बार-बार मुझसे दोहरा रहा था।

मां कल कौन सा गिफ्ट मुझे मिलेगा सैन्टा मुझे क्या लाकर देगा मम्मी मुझे बताओ ना मेरा हाथ खींचते हुए वह फिर से पूछता है मैं उससे बड़े प्यार से कहती हूं बाबू मुझे क्या पता सैन्टा तुम्हें कल क्या देगा वह तो वही जाने जब वह रात को आएगा तो तुम्हारे लिए एक अनोखा सा गिफ्ट लेकर आएगा। चिंता मत करो और फिर वह गुमसुम सा फिर से जाकर सोफे पर बैठ जाता है।

 मैं उउसके पास जाकर बड़े प्यार से उसका माथा चूमते हुए कहती हूं कल तक का इंतजार करो ना बेटा कल तुम्हें अपना अच्छा सा गिफ्ट मिलेगा। 
तभी दरवाजे पर घंटी की आवाज होती है मैं जाकर दरवाजा खोलता हूं, दरवाजे पर प्लंबर खड़ा होता है मैडम आपने कल मुझे फोन किया था ना, हां जी भैया किया तो था.....मैं प्लंबर हूं, अच्छा सुनो भैया मेरे बाथरूम की टंकी खराब हो गई है जरा आप देख कर चेक कर लीजिए क्या हुआ है, प्लंबर ने अपने स्लीपर उतार कर दरवाजे पे छोड़े और वह बाथरूम की ओर बढ़ चला, उसने बाथरूम की टंकी को चेक किया और बोला मैडम इसका वाल खराब हो गया है मुझे मार्केट जाना पड़ेगा और वह लेकर आना पड़ेगा तभी इतना कहते कहते वह रुक गया, 
मैडम आपसे एक सवाल पूछना है आप मेरी बात का जवाब देंगे आप बुरा न मानिएगा.....मैंने कहा नहीं भैया,....बिल्कुल बुरा नहीं मानूंगी पूछो ना क्या बात है मैं जरूर जवाब दूंगी। 
वह‌ बोला मेरे दो बच्चे हैं जो टीवी देखते रहते हैं और कल से उन्होंने जिद्द  पकड़ रखी है पापा कल सैन्टा क्लोस हमारे घर आएगा और हमारे लिए नए-नए‌ उपहार लेकर आएगा पर मैंने उनको बहुत समझाया कि बेटा ऐसा कुछ नहीं होता सैन्टा क्लोस नहीं होते हैं, वह नहीं आएगा....पर बच्चें है बात मानाने को तैयार ही नहीं, वह कहते हैं  हमने टीवी पर देखा है सैंटा क्लोस आता है....
और घर-घर कुछ ना कुछ देकर जाता है मैं समझा समझा कर थक गया हूं पर लेकिन बच्चे समझने को तैयार ही नहीं है।
अब आप ही बताओ ना मैडम अगर कल  सैन्टा नहीं आया तो बच्चे  का‌ तो दिल ही टूट जाएगा, मेरी समझ में नहीं आ रहा है मैं क्या करूं आप ही मुझे कोई सुझाव दो। 
मैं उसकी बातें बड़ी चुपचाप होकर सुन रही थी इतना कह कर वह रुक कर बोला मैं अभी टंकी का वाल लेकर आता हूं तब तक आप सोच कर रखियेगा और जब मैं लौट के आऊं तो मुझे प्लीज बताइएगा।
उसके जाने के बाद मैं सोच में पड़ गई बच्चे कितने मासूम और भोले होते हैं वह जो देखते हैं उसी को सच्चाई मानने लगते हैं पर्दे के पीछे क्या है उन्हें कहां मालूम होता है, उन बच्चों का क्या कसूर वह तो हमारे द्वारा दिखाई गई कल्पनाओं में ही जीते हैं हम ही उनके मन में तरह-तरह के लालच और सपने सजाते हैं तभी उनमें वह ललक पैदा होती हैं। 
मैं भी तो अपने बेटे को यही बताती हूं कि सैन्टा आएगा चमत्कार होगा गिफ्ट मिलेगा उसे क्या पता कि गिफ्ट तो हम ही लोग रखते हैं कोई सैन्टा नहीं आता है। रात को टॉफी चॉकलेट और गिफ्ट रखने के लिए हमें तो खुली आंखों से उनको सपना दिखलाते हैं। 
मैं सोफे पे अपने  बेटे के पास जाकर बैठ जाती हूं और एक दुविधा में पड़ जाती हूं क्या जो मैं हर साल यह करती हूं वह ठीक है या गलत लेकिन जवाब नहीं ढूंढ पाती हूँ और इसी उधेड़बुन में आधा घंटा निकल जाता है। 
तभी घंटी की आवाज कानों में पड़ती है और उठकर खड़ी हो जाती हूं जाकर दरवाजे पर देखती हूं तो प्लंबर आकर खड़ा हुआ है, मैडम मैं टंकी का वाल लेकर आ गया हूं अब लगा देता हूं और वह इतना कहकर टंकी का वाल फिट करने लगा बाथरूम से बाहर निकलते हुए बोला ठीक हो गया मैडम। 
और तभी जैसे ही जाने के लिए मुड़ता है उसको ध्यान आता है कि उसने कुछ सवाल पूछा था अरे मैडम मैं आपसे एक सवाल पूछा था आपको कुछ सूझा क्या...?? कैसे समझाऊं अपने बच्चों को मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है, 
मैं थोड़ी देर सोचती रही और सोफे से उठी....ठहरो भैया मैं अभी आती हूं इतना कहकर मैं कमरे में गई, कमरे में जाकर अलमारी खोली और उसमें से मैंने जो अपने बेटे के लिये दो-तीन गिफ्ट लेकर आई थी और ताफियाँ और चॉकलेट उसमें से मैंने दो गिफ्ट थोड़ी सी ट्रॉफी और दो चॉकलेट उठाई और जाकर बाहर प्लंबर के हाथ में रखते हुए बोली यह लो भैया अपने बच्चों के लिए ले जाइए और आप अपने बच्चों के लिए कल सैंटा बन जाना । 
यह गिफ्ट कहीं छुपा देना जब बच्चे सुबह खोजते हुए ढूंढेंगे तो यह गिफ्ट पाकर बेहद खुश हो जाएंगे। वहबस चुपचाप खड़ा मेरी बातें सुनता रहा और इतना ही बोल सका धन्यवाद मैडम ....
शायद उसकी आंखें नम हो गई थी लेकिन वह मुझे दिखाना नहीं  चाह रहा था। इतना कहकर वह घर से बाहर निकल गया।
मैं सोच में पड़ गई कि सच्चाई अपने बेटे को बताऊं या नहीं कि सैन्टा क्लोस नहीं होता है पर मैं कुछ ना बोल सकी बस चुपचाप खामोश खड़ी सही और  गलत में उलझ कर रह गई है । 
मधु गुप्ता "अपराजिता"
स्वरचित कहानी
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4 Comments

Alka jain

26-Dec-2023 02:49 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

26-Dec-2023 01:29 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

25-Dec-2023 08:29 PM

Nice

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